Capture और Torture किए जाने के बावजूद आज भी एक IAF Pilot हैं Kambampati Nachiketa
Indian armed forces ने हमेशा से देश की शान बनाए रखने के लिए अपना बलिदान दिया है| भारत की सीमा पर घुसपैठ को रोकने के लिए अनेकों बार युद्ध भी हुए हैं| Indian armed forces ने दुश्मनों से लड़ते हुए उनकों हमेशा मूह-तोड़ जवाब भी दिया है और 1999 का Kargil युद्ध उनमें से एक है, जहाँ भार्ट के जाँबाज़ों ने दुश्मनों के camp तोड़ Himalaya की चोटी पर अपना परचम लहराया था| आज भी बहुत से ऐसे अनसुने जाँबाज़ है जिन्होनें देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है| Flight Lieutenant Kambampati Nachiketa उन्हीं जाँबाज़ों में से हैं जो वीरता के साथ एक fighter pilot होते हुए दुश्मनों से लड़े और उनका बुरी से बुरी situations से बाहर निकलने के nature की वजह से उन्हें युद्ध के वक़्त Pakistan का कैदी भी बनना पड़ा|
31st May 1973 को जन्में Group Captain Nachiketa, Mr. K R K Sastry और Mrs. Laxmi Sastry के बेटे हैं| Kendriya Vidyalaya, New Delhi से स्कूली पढ़ाई करने के बाद उन्होनें National Defence Academy, Pune से ट्रैनिंग लेकर Indian Air Force join किया|
1999 में हुए Kargil युद्ध के समय K Nachiketa 26 साल के fighter pilot थे, जिन्हें 17,000 फीट की उँचाई से Pakistani posts को target करना था| उन्होनें निशाना लगाते हुए जैसे ही अपने MiG 27 fighter bomber के cannon को fire किया, उनका engine जल गया और पूरी तरह dead हो गया| उसके बान उनका एक ही मकसद था कैसे भी engine को restart करना|
लेकिन बदक़िस्मती से उनका engine start नहीं हुआ और सामने पहाड़ी इलाक़ा होने की वजह से उन्हें प्लेन से अलग होना पड़ा| जैसे ही वह नीचे उतरे उन्होनें देखा कि वह चारों तरफ से बर्फ़ से घिरे हैं| और दुश्मनों ने उनपर गोलियाँ दागना शुरू कर दिया| अब उनके पास एक ही रास्ता था खुद को छुपाना लेकिन आधे घंटे के अंदर ही पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें बँधी बना लिया|
पाकिस्तानी सैनिक जिन्होनें Captain Nachiketa को पकड़ा था वह काफ़ी गुस्से में थे और उन लोगों ने उन्हें तब तक बहुत मारा जबतक कि उनका एक सीनियर ऑफीसर वहाँ नहीं आया और उसने उन्हें रुकने का ऑर्डर दिया| पाकिस्तानी जवान उन्हें मार देना चाहते थे क्यूंकी उनके लिए वह सिर्फ़ एक दुश्मन था, जिसने हवा से उनपर हामला किया था| लेकिन जो ऑफीसर वहाँ आया वह काफ़ी समझदार था| वह समझ चुका था कि Nachiketa अब एक बँधी है और उसके साथ ग़लत व्यवहार नहीं होना चाहिए| उस वक़्त उन जवानों को समझाकर शांत करना एक बड़ा कदम था क्यूंकी वह उस वक़्त बहुत गुस्से में थे|
Privately tortured किए जाने वाले Nachiketa को बिल्कुल idea नहीं था कि उनकी रिहाई के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं| Interrogation शुरू होने के बाद Nachiketa को पता चल गया था कि वह भारत वापिस नहीं जा पाएँगे| लेकिन उन्हें आशा था कि किसी ना किसी दिन वह भारत ज़रूर लौटेंगे| उन्हें वहाँ torture किया गया ताकि भारत के आगे की planning जान सकें|
8 दिन के बाद भारत सरकार द्वारा उनकी रिहाई के लिए किए गये efforts ने Nachiketa को Red Cross को handover कर दिया और वह भारत वापिस ले आए गये, जहाँ President KR Narayanan और Prime Minister Vajpayee ने उन्हें Hero की तरह सम्मानित किया|
Flight से अलग होते वक़्त Lieutenant Nachiketa को severe spine injuries होने के कारण उन्हें future मे fighter flights ना चलाने की हिदायत दी गयी| लेकिन Indian Air Force से जुड़े रहने का उनका उत्साह कम नहीं हुआ| उन्हें Group Captain बनाकर Ilyushin Il-78 midair refueling transport aircraft उड़ाने के लिए No. 78 Squadron IAF station, Agra पोस्टिंग मिल गयी| Flight Lieutenant Kambampati Nachiketa को Kargil युद्ध में exemplary service के लिए Vayu Sena Gallantry Medal से सम्मानित किया गया| Nek in India इंडियन एर फोर्स के इस जाँबाज़ को स्वस्थ जीवन जीते हुए देश की आगे भी रक्षा करते रहने की कामना करता है|