पिछले 17 सालों से Martyrs families को 4000 से ज़्यादा letters लिख चुके हैं Jitendra Singh
आज देश की रक्षा करते हुए हमारे जवान शहीद होते हैं तो हमे बड़ा दुख पहुँचता है| लेकिन कुछ देर का दुख माना कर हम यह सोचते हैं कि हम इसी ज़्यादा और ही क्या सकते हैं| लेकिन एक आदमी ऐसा है जो अपना दुख बयाँ भी करता है| Jitendra Singh गुजरात के सूरत में एक private security guard हैं, जो कभी भी किसी भी बहादुर शहीद की family को अपने heartfelt condolences देना नहीं भूलते|
कभी-कभी उनकी महीने की 10,400रु की salary महीने भर नहीं चल पाती, लेकिन उनका postcard खरीद के शहीदों की families को लिखने का सिलसिला कभी नहीं रुकता|
37 साल के Singh 1999 में हुए Kargil War से, शहीदों की families को letter लिखते आ रहे हैं| शहीदों की families को 4,000 letters लिख चुके Jitendra के पास लगभग 38,000 army personnel families की information और addresses हैं| उनका एक ही मकसद है कि वह उन लोगों तक अपना आभार पहुँचा सकें जिन्होनें उस जैसे तमाम भारतीयों के लिए अपना बेटा, पति या पिता को खोया है|
Jitendra Singh Gurjar राजस्थान के भरतपुर डिस्ट्रिक्ट के कुटखेड़ा गाँव से हैं| उनकी फॅमिली की कई पीढ़ियों ने Indian Army की सेवा की है इसलिए वह भी आर्मी से जुड़ना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया| Kargil War के वक़्त उनके पिता Mahar रेजिमेंट में थे और हमेशा उस वक़्त शहीद हुए अपनीकंपनी के लोगों की बातें किया करते थे| तभी से Jitendra ने शहीदों की families को letters लिखने का सोचा|
Jitendra पिछले 18 सालों से letters लिख रहे हैं और 9 quintals की stationary उनके पास है जिसमें information, papers, defence establishments और postcards हैं|
Jitendra बताते हैं कि जब उन्होनें letter लिखना शुरू किया था उस वक़्त एक postcard की क़ीमत 15पैसे थी और अब 18 साल बाद इसकी कीमत 50पैसे पहुँच गयी है| वह हर महीने postcards खरीदते हैं|
Jitendra का कहना है कि शहीदों की families की हालत बहुत अच्छी नहीं है, इसलिए जो लोग उन्हें sympathise करते हैं उनसे वह financial हेल्प की आशा करते हैं| लेकिन उसके पास इतना पैसा नहीं है कि वह उनकी मदद कर सके| उनमें से कई लोगों के फोन नंबर्स उसके पास हैं और उनमें से कुछ regular उसके touch में रहते हैं, लेकिन letters का reply कोई नहीं देता|
Jitendra सूरत में अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहते हैं जो कि 9th standard में है| Jitendra ने उसका नाम शहीद Hardeep Singh के नाम पर रखा है जो 2003 में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गया था|