हज़ारों अनाथ बच्चों की माँ हैं Sindhutai Sapkal
Sindhutai Sapkal सिर्फ़ एक नाम ही नहीं उससे कहीं ज़्यादा है|68 साल की इस बुड़ी औरत ने अपने कठोर व्यक्तित्व के पीछे बहुत सी कहानियाँ छुपाई हैं|
उर्जा और जुनून भरी सिंधुताई को “अनाथ बच्चों की माँ” कहा जाता है और जब भी वह अपने जीवन और बच्चों के बारे में बताती हैं तो सारा दर्द, कठिनाई और दुख उनके चेहरे पर साफ़ दिखाई देता है और कैसे वह अपनी मेहनत से उन कठिनाइयों से लड़ी यह भी पता चलता है| लेकिन, इसके बावज़ूद उनके चेहरे के भाव आत्मविश्वास से भरे रहते हैं जो कि उनमें इतने सालों में अपनी ज़िंदगी के अनुभवों से आया है|
एक अनचाही बच्ची होने की वजह से उन्हें घर में सब “छिंढी” बुलाने लगे जिसका मतलब कपड़े का फटा हुआ टुकड़ा होता है|
लेकिन उनके पापा उनको पूरा support करते थे और उनको पढ़ाना भी चाहते थे, लेकिन परिवार की ज़िम्मेदारी और शादी जल्दी हो जाने के कारण वह सिर्फ़ चौथी class ही पढ़ पाईं|
उनकी शादी 10 साल की उम्र में ही एक 30 साल के आदमी से हो गई| उनके अपमानजनक पति ने उन्हें मारा और घर से बाहर निकाल दिया| तब वह 20 साल की थीं और 9 महीने की गर्भवती भी थीं| उसी दिन उन्होनें घर के बाहर बने गाय के झोपडे में एक बेटी को जन्म दिया और उसी हालत में कुछ किलोमीटर दूर अपनी माँ के घर चली गई, जहाँ उनकी माँ ने भी उन्हें घर में आने से माना कर दिया|
उन्हें आज भी याद है कि किस तरह उन्होनें एक नुकीले पत्थर से नाल को काटा था| इस वाकये ने उन्हें अंदर से झींझोर कर रख दिया और उन्होनें खुद्खुशि करने का फ़ैसला कर लिया लेकिन फिर बेटी का भविष्य सोचकर उनका फ़ैसला बदल गया और उन्होनें बेटी को पालने के लिए भीख माँगना शुरू कर दिया|
कुछ सालों तक भीख माँगने पर उन्हें एहसास हुआ कि ऐसे बहुत से बच्चे हैं जो अनाथ हैं| खुद की दिक्कतों को याद करते हुए उन्होनें फ़ैसला किया कि वह ऐसे बच्चों को गोद लेंगी| और फिर उन्होने धीरे-धीरे बहुत से बच्चों को गोद ले लिया और “अनाथों की माँ” के रूप में उभर गईं|
अभी तक लगभग 1400 अनाथ बच्चों को पढ़ा-लिखकर, उनकी शादी और उन्हें उनके पैरों पर खड़ा कर चुकी हैं| सब उन्हे “माई” (माँ) कहते हैं और उनमें से आज बहुत बच्चे डॉक्टर और इंजिनियर बन अपने पैरों पर खड़े हो चुके हैं|
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