Bhule Bhatke Baba ने मिलाया है हज़ारों लोगों को उनके परिवार वालों से
Raja Ram Tiwari उस वक़्त 18 साल के थे जब पहली बार उन्होनें 1946 में अलाहबाद के संगम तट पर कुंभ मेला देखा औरउसी वक़्त उन्हें खोए हुए लोगों को मिलाने का idea आया|
उस वक़्त कुंभ मेला हर तीसरे साल मनाया जाता था और बूढ़े लोग इसमें ज़्यादा संख्या में जाते थे| अपने पहले मेला दर्शन के वक़्त Tiwari ने देखा कि एक बूढ़ी महिला बहुत ज़ोर-ज़ोर से रो रही है और एक जवान लड़का टिन का भौपु लेकर ज़ोर-ज़ोर से उसके परिवार वालों को तब तक आवाज़ लगाता रहा जब तक वह अपने परिवार वालों से नहीं मिली|
इस घटना ने Tiwari के idea को और ज़्यादा बढ़ावा दे दिया और उन्होनें “खोया पाया शिविर” नाम से श्रधालुओं को ढूँडने वाला कैंप शुरू कर दिया|
उन्होनें लगभग 10 लाख लोगों और 20,000 बच्चों को उनके परिवार वालों से मिलाया| उन्होनें अपनी इस पहल में बहुत से स्वयंसेवकों को भी जोड़ा ताकि काम आसान हो जाए और आज लगभग 150 से ज़्यादा लोग उनके इस कैंप से जुड़ चुके हैं|
आज लोग भाई को भाई से अलग करने में लगे रहते हैं पर तिवारी प्रेरणा हैं ऐसे लोगों के लिए जो दूसरों की खुशी के लिए जीते हैं और उनका घर तोड़ते नहीं, बल्कि बनाते हैं|
Photos Credit : Taken from Google.